Thursday, 30 April 2020

इर्रफ़ान ख़ान की जीवन गाथा

हेलो दोस्तों,
कैसे है आप सब लोग, मैं उम्मीद करती हूँ कि आप सब लोग खुशहाल होंगे | दोस्तों आज जहाँ एक तरफ कोरोना वायरस का कहर चारों ओर मंडरा रहा है,  वही दूसरी तरफ एक बहुत ही दुखद समाचार ने हमे बेहद् उदास कर दिया | बॉलीवुड के जाने-माने और बेहद्द ज़िन्दगी जीने वाली एक्टर इर्र्फान खान आज हमारे बीच में नहीं रहे |  आज सुबह 10 बजे के करीब कोकिलाबेन धीरूभाई हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी साँसे ली | खबरों से पता चलता है कि वह एक लम्बी बीमारी से ग्रस्त थे | आज मैं आपको उनके जीवन के बारे में बताउंगी |

इरफ़ान खान'
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(1967-2020)

इन्हे angrezi medium का Ghasitaram कहे या Jazbaa मूवी के Inspector Yohan , हर रोल में इन्होने बहुत ही बढ़िया तरीके से निभाया है और आज ये बॉलीवुड के बेहद्द टैलेंटेड एक्टर के नाम से जाने जाते है क्योकि इनके स्टाइल और परफॉरमेंस से यह हॉलीवुड में भी छाए हुए है | 

प्राथमिक जीवन और शिक्षा 

इरफ़ान खान'का जन्म राजस्थान के जयपुर शहर में 7 जनवरी 1967 को हुआ था | उनके पिता का नाम जागीरदार खान था और माता का नाम बेगम खान था | पिताजी पेशे से बिजनेसमैन थे और उनका टायर्स बेचने का बिज़नेस था | इनकी प्राथमिक शिक्षा जयपुर में ही हुई थी | बचपन से इन्हे क्रिकेट में बहुत शौक था, उनका सी.के  नायडू टूर्नामेंट में भी सिलेक्शन हो गया था, पर अफ़सोस की बात ये की आर्थिक स्तिति खराब होने की वजह से वो टूर्नामेंट में भाग नहीं ले पाए | 

इरफ़ान खान का टेलीविज़न करियर :-

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1984 में अपने कॉलेज के दिनों में इनकी रूचि अभिनय में हुई, और इसके लिए उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा, नई दिल्ली, में एडमिशन ले लिया | शुरू-शुरू में उन्हें एक्टिंग में कोई एक्सकिटमेंट नज़र नहीं आयी, लेकिन बाद में इसमें उनको बहुत मज़ा आया |

वहाँ से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह मुंबई की तरफ रुख कर गए | यहाँ आकर उनको काफी संघर्ष करना पड़ा क्योकि न तो वो किसी फिल्मी परिवार से थे, और न ही वो सिनेमा जगत के किसी आदमी को जानते थे | फिल्मो की रुख करने से पहले इन्होने टेलीविज़न पर भी थोड़ा हाथ आज़माया | उस ज़माने में टेलीविज़न का मतलब दूरदर्शन से होता था | अपने इस अभिनय को लेकर इन्होने बहुत से सेरिअल्स में काम किया जैसे-

  • चाणक्य 
  • भारत एक खोज 
  • चंद्रकांता 
  • सारा जहाँ हमारा 
  • बनेगी अपनी बात  और आदि | 
चंद्रकांता में इनका बद्रीनाथ अय्यर का रोल बहुत ही लोकप्रिय था | उनकी ज़िन्दगी में सबसे बड़ा बदलाव आया जब उनको दूरदर्शन सीरियलो के अलावा दूसरे और सीरियलो में भी काम करने का मौका मिला | उस टाइम का सबसे बड़ा खतरनाक सीरियल डर में इन्होने खलनायक की भूमिका निभाई थी | ऐसे ही इतने  सारे सीरियलो में काम करने के बाद वह टेलीविज़न पर अपनी एक अलग छाप छोड़ दी | 

फिल्मी करियर :-
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जहाँ एक तरफ वह अपनी टेलीविज़न करियर की बुलंदी को छु चुके थे, उनकी पहली फिल्म सलाम बॉम्बे थी, जो मीरा नय्यर ने डायरेक्ट करी थी | इर्र्फान का करियर बहुत ही कठिन था | उनकी लम्बी हाइट की वजह से उन्हें काफी मुसीबतो का सामना करना पड़ा | फिल्म की शूटिंग के दौरान जब मीरा नय्यर को इस बात का पता चला तो उन्होंने इर्र्फान का रोले काट दिया, जिसके चलते वह बहुत रोये और चिल्लाये भी | लेकिन इसके कुछ सालो बाद मीरा नय्यर ने अगली फिल्म "द नेमसेक" में इनको लिया जिसमे इन्होने लीड रोल प्ले किया | उसके बाद तोह जैसे फिल्मो की बौछार हो गयी | एक से एक नायाब फिल्मे करने लगे | इनकी कुछ फेमस फिल्मे :-
  • Paan Singh Tomar (2010)
  • Haasil (2003)
  • Billu (2009)
  • Haider (2014) आदि | 
कुछ हॉलीवुड मूवीज में भी अपना अभनय छोड़ा है जैसे :-
  • Slumdog Millionaire
  • Inferno
  • Puzzle
  • Life of pi
और ये फेरस बहुत लम्बी है | 

निजी जीवन:-

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इनके निजी जीवन की तरफ रुख करे तो पता चलता है, इनका विवाह हुआ सुतापा सिकदर से 1995 में, इस शादी से इन्हे दो लड़के हुए "बाबिल खान " और "अयन खान "| 

इरफ़ान खान का आखिरी सन्देश- मैं आपके साथ हु भी और नहीं भी.... 

"हेलो भाइयो और बहनों, नमस्कार | मैं इरफ़ान | मैं आज आपके साथ हु भी और नहीं भी | मेरे शरीर में कुछ अनचाहे मेहमान बैठे हुए है | उनसे वार्तालाप चल रहा है | देखते है ऊँट किस करवट बैठता है | "


अंतिम यात्रा 
इरफ़ान खान का निधन 29 अप्रैल 2020 को मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में हुआ था | उनकी उम्र 54 वर्ष थी | उनकी आखिरी फिल्म अंग्रेजी मेडियम थी जो बॉक्स ऑफिस पर काफी नाम कमा चुकी है | इस फिल्म से न सिर्फ उनको सिनेमाई प्रतिभा की वजह से बल्कि अपने स्वतंत्र विचार शैली की वजह से भी पहचान मिली |

हॉस्पिटल में लिखा हुआ लेटर- कई बार सफर ऐसे भी ख़त्म होता है...... 

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"अभी तक मैं एक बेहद्द अलग खेल का हिस्सा था | मैं एक भागती ट्रैन पर सवार था | मेरे सपने थे, योजनाए थी | मैं पूरी तरह इन सब में व्यस्त था | तभी  ऐसा  लगा जैसे किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए मुझे रोका | वह TC था | बोला - आपका स्टेशन आने वाला है | नीचे उतर जाए |नहीं-नहीं मेरा स्टेशन अभी नहीं आया है |  उसने कहा- नहीं  आपका सफर यही तक था | कभी-कभी सफर यूँ ही खत्म  होता है | "

तो ये था इरफ़ान खान के जीवन का सफर आशा करती हूँ आपको आज अच्छा लगा होगा |

अब मुझे दीजिये इज्जाजत |
ध्यानवाद





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